और मैं हूँ
नभ में सूरज है ,सागर में उसकी किरणें हैं ,
और मैं हूँ ,
नभ में फैली लाली है ,सागर में उसकी छाया है ,
और मैं हूँ ||
नभ में कुछ बदरा हैं ,रवि किरणों से हुए गुलाबी हैं ,
और मैं हूँ ,
बदरा कुछ उड़ते जाते हैं ,बहती पवन के साथ - साथ ,
और मैं हूँ ||
सागर में एक नैया है ,लहरें ही उसकी खेवैया हैं ,
और मैं हूँ ,
नैया लहरों संग डोल रही ,रवि किरणों के संग भी ,
अपनी खिड़की पर बैठी ,
और मैं हूँ ||
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