Thursday, July 13, 2023

JHOLII ( AADHYATMIK )

 

                        झोली 


जीवन और साँसें मिलीं हैं मुफ्त ,

मगर प्राणी तू कहाँ संभाले ? 

ऊपर वाले की देन को ,तू तो व्यर्थ गँवाए | 


नींद और शांति मिलीं बहुत हैं ,

पर तू जीवन अशांत बनाए ,

मिलीं मुफ्त की चीजों की तू ,

कीमत समझ ना पाए | 


हवा और पानी हैं बहुत जरूरी ,

क्यों इनको व्यर्थ बहाए ?

क्यों तू इनको गंदा करके ?अपना जन्म गँवाए ? 


सब कुछ दिया ऊपर वाले ने ,

मत उनको व्यर्थ गँवा तू ,

ऊपर वाले की देन से प्राणी ,

भर ले अपनी झोली तू | 


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