बचपन
बचपन खड़ा है सागर तट पर ,
पानी खूब उछाले ,
हाथों में भररेत वहाँ का ,
सागर में वो डाले |
हँस - हँस कर वह नन्हें पैरों ,
खूब उछलता जाए ,
सब आने - जाने वालों को ,
करतब खूब दिखाए |
देख खेल बचपन का दोस्तों ,
सब ही तो मुस्काएँ ,
नानी उन की यह सब देख ,
उन पर वारि जाए |
सागर भी उन के खेलों का ,
खूब ही मज़ा उठाए ,
छोटी - छोटी लहरों को सागर ,
बचपन के पास भिजवाए |
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