चंचल बदरी
पूरे फैले आसमान में ,
नन्हीं सी एक बदरी आई ,
उड़- उड़ कर ,घूम - घूम कर ,
उसने तो शैतानी मचाई ,
नन्हीं बदरी फिरे अकेली ,
कोई ना साथी ,ना कोई सहेली ,
मैं कहती हूँ नन्हीं बदरी ,
मुझको तू बना ले अपनी सहेली |
तुझको मैं प्यार करूँगी ,
तेरे संग मैं खेलूँगी ,
झूला तुझे झुलाऊँगी मैं ,
तेरे संग मैं झूलूँगी ,
दोनों सखियाँ इस दुनिया में ,
एक धरा पर ,दूसरी आसमान में ,
मगर एक बात दोनों में है ,
दोनों ही चंचल - चंचल ,बहुत ही चंचल हैं |
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