Thursday, July 20, 2023

LADAAI FOOLON KII ( SAMAJIK )

 

               लड़ाई फूलों की 


एक बार हो गई लड़ाई ,फूलों के बीच में ,

सबके सब थे मस्त ,बड़ाई अपनी करने में ,

गेंदा बोला ,मैं हूँ सुंदर ,और हूँ मजबूत ,

कई दिन तक लगातार ,खिला रहता हूँ मैं | 


सूरजमुखी ने आकर बीच में ,काटी उसकी बात ,

बोली ,मैं हूँ सूरज की प्यारी ,तुमसे भी मजबूत ,

उपयोगी हूँ मानव को देती ,तेल ,बीज और सजावट | 


कोमल सी चमेली ने ,सूरजमुखी को रोका ,

रंग - बिरंगी मैं नहीं ,मगर दूध सा सफ़ेद मेरा रंग ,

मेरी खुश्बू और कोमलता ,सभी को है भाती ,

मेरा तेल तो खुश्बू वाला ,हरेक हसीना है लगाती | 


आगे बढ़ा गुलाब ,भई लाल - लाल गुलाब ,

सुंदरता तुम मेरी देखो ,खुश्बू से मेरी महको ,

मेरे फूलों से बना गुलकंद ,और बना गुलाब जल ,

लगा कर तुम महको ,और खाकरमजा तुम लूटो | 


तभी तितलियाँ आकर बोलीं , क्यों आपस में लड़ते हो ?

सब मिल - जुल कर रहो चमन में ,सबके गुण हैं बढ़ते ,

हम तितलियाँ उड़ - उड़कर ही तो ,सुंदरता उत्पन्न करतीं ,

सुनकर सारे फूलों की लड़ाई बंद ,और दोस्ती हो गई ,

मानव तुम भी सीखो और ,दोस्ती बढ़ाओ ,दोस्ती बढ़ाओ | 


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