मंजिल अपनी
सोचते तुम ना रहो ,क़दमों को बढ़ाते जाओ ,
परिश्रम तुम करते जाओ ,
तभी तो पाओगे मंजिल अपनी |
स्वयं पर विश्वास रखो ,शंका कभी उगने ना दो ,
आत्म विश्वास की सीढ़ी द्वारा ही ,
पाओगे मंजिल अपनी |
सहयोग करो दूजों के साथ ,
तभी दूजों का सहयोग पाओगे ,
उसी सहयोग के सहारे तुम ,
पाओगे मंजिल अपनी |
मीठी वाणी ,मीठे शब्द ,
और मुस्कानें बाँटते जाओ ,
इन्हीं के द्वारा ही तो तुम ,
पाओगे मंजिल अपनी |
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