Saturday, July 22, 2023

OSS KI BOOND ( KSHANIKA)

 

                      ओस की बूँद 

 

मैं हूँ एक ओस की बूँद ,जन्म मेरा होता है ,

रात के अँधियारे  में ,जब ठंडक सी होती ,

सुबह -सवेरे ही मैं ,फूलों पर हूँ मिलती | 


हरी घास है बिस्तर मेरा ,मैं हूँ उस पर सोती ,

मेरा रूप - रंग देख कर ,

हर आँख ही खुश होती | 


मोती जैसा मेरा रूप ,सबके ही मन को भाता ,

सबके होठों की मुस्कान देख कर ,

मैं भी खुश हो लेती ,मैं भी खुश हो लेती | 


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