मीठा गान
आधी रात को नींद खुली ,उठी पीने को पानी ,
चम - चम कमरा चमक रहा,चंदा की फैली चाँदनी ,
मुस्काता चेहरा चंदा का,चमक चाँदनी की बढ़ा रहा ,
कमरा भी तो चाँदनी की ,चमक में नहा रहा |
मैं मुस्काई देख कर ,चंदा का यह रूप ,
चंदा की थी चाँदनी ,या चंदा की थी धूप ,
ठंडी - ठंडी सी चमकीली ,चंदा की ये धूप ,
ना गर्मी थी इसमें कोई ,ना धूप की चकाचौंध |
चंदा और चाँदनी मुस्काए ,देख मेरी मुस्कान ,
मेरे कानों में भी मानो ,बज उठी मीठी तान ,
सुर और ताल दोनों मिले ,बन गया मीठा गान ,
शब्दों की धड़कन मिली ,तैयार हो गया गान |
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