Saturday, July 1, 2023

VILEEN ( RATNAAKAR )

 

                      विलीन 


हुई जो बर्फ़बारी ,आसमां से ,

पर्वतों ने बर्फ को रोका ,कहा मुस्का के ,

रुक जाओ , मैदानों में तुम नहीं जाओ ,

ढलानों पर ही ठहर जाओ | 


बर्फ को भी लगा ,सुंदर यह विचार ,

ठहर गई वह ,पर्वतों की ढलानों पर ,

सूर्य की किरणों ने जब उस ,

बर्फ को खूब चमकाया ,तो मानव ललचाया ,

यह सुंदर नज़ारा -- काश मेरे पास होता | 


सूरज की किरणोंने धीरे - धीरे ,

उस बर्फ को ऐसे पिघलाया , बर्फ से बना पानी ,

पानी की धारा ,रूप ले नदिया का ,

चली इठलाती ,बलखाती ,ढलानों से नीचे को | 


नदी लहराती हुई दौड़ी ,धरा को उपजाऊ बनाती ,

मैदानों में हरियाली बढ़ती गई ,

और दौड़ती गई ,दौड़ती गई ,

मीठे जल ,ठंडे जल से ,सभी की प्यास बुझाती गई ,

छलछलाती नदिया , अंत में जाकर  सागर में ,

विलीन हो गई ,विलीन हो गई | 


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