हमें सोचना है
जिंदगी देती है टेढ़े -मेढ़े रास्ते ,हमें चलना के लिए ,
हमें उन पर कैसे चलना है ?ये हमें सोचना है ||
उन्हीं रास्तों को,एक क्रम में लगाना ,
फिर उन पर चलना ,अपनी सुविधा के अनुसार ,
जिससे जीवन अनुकूल रहे ,ये हमें सोचना है ||
कदम हमारे ,रास्ते हमारे ,हमें किस दिशा में ले जाएँ ?
किस मंजिल तक पहुँचाएँ ? हम कितनी दूर तक जाएँ ?
ये हमें सोचना है ||
दिल में ख़ुशी लिए ,होठों पर मुस्कान लिए
बिना माथे की शिकन ,या चेहरे पर थकान लिए ,
हम जिस मंजिल पर पहुँचेंगे ,वही हमारी मंजिल होगी ,
ये हमें सोचना है ||
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