सवाल अनसुलझे
हमें कुछ - कुछ मिला है , जीवन की इस बगिया में ,
कुछ फूल हैं ,कुछ काँटे हैं ,
जो उस ईश्वर ने सभी को बाँटे हैं ,
सुगंध से भरा हमारा दरीचा है ,
जिसे हमने बड़ी मेहनत से सींचा है ,
जिसमें फूलों से खिला इक गलीचा है ||
कुछ -कुछ सवाल भी हैं ,
कुछ सुलझे और कुछ अनसुलझे सवाल हैं ,
कुछ सवालों ने मुस्कानें हैं जगाईं ,
अनसुलझों ने मलाल ,
कोई बताए ऐसा तरीका ,जिससे सुलझें सवाल ||
सवालों की गलियों में ,जो फँस गया ,
वही तो गलियों में ,भटकता चला गया ,
सवालों के बीच में ,उग आए हैं अनेक नए सवाल ,
उन सवालों की राह में ,मेरा दिल उलझता चला गया ||
सवालों के उत्तर भी ,खो गए हैं राहों में ,
कौन खोजेगा उन्हें ? दिल -दिमाग की चाहों में ,
रुक जाएगा क्या कारवां ?
सवालों का किन्हीं राहों में ?
क्या मिल जाएगा सुकून ? सवालों के जवाबों में ||
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