Monday, November 20, 2023

JIVAN DHAN ( KSHANIKA )

 

                        जीवन धन 


हवा का झोंका आया रे ,दिया नहीं दिखाई रे ,

पकड़ो ,पकड़ो उसे दोस्तों ,जाने ना दो उसको रे || 


साँस हमें दे कर के ,दूर वह जाता रे ,

जीवन की नैया को ,वह ही पार लगाता रे || 


पकड़ के देखो हाथों से ,क्या वह हाथ में आता रे ? 

नहीं ,नहीं वह तो चंचल ,उड़ - उड़ कर चला जाता रे || 


रंग नहीं उसका कोई ,रूप नहीं उसका कोई ,

मगर सारी सृष्टि को ,जीवन धन दे जाता रे || 


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