नींद तले सपन झरे
आई निंदिया नयनों में ,हमको दिया सुलाय ,
धीरे - धीरे उसने हमें ,सपनों में दिया घुमाय ||
सपनों की दुनिया तो ,बड़ी ही थी अनोखी ,
अनजाने से शहरों में ,हमको दिया घुमाय ||
सुंदर सी नगरी कोई ,प्यारी सी नदिया कोई ,
सभी जगहों की उसने तो ,दी हमको सैर कराय ||
निंदिया और सपनों की दुनिया ,दोनों ही अति सुंदर ,
बिना थकावट ही उन्होंने ,सैर कराई बिना थकाय ||
नींद तले सपन झरे ,पलकों की गलियों में आय ,
ऐसे ही तो दोस्तों अपना , जीवन बीता जाय ||
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