लेखनी ने
लेखनी ने मेरी ,ना जाने क्या लिखा ?
तुमने ना जाने ,उसको क्या पढ़ा ?
पढ़ने के बाद ,उसका अर्थ क्या समझा ?
समझ कर अर्थ ,क्या उसका अनर्थ बनाया ?
भाव मेरे थे प्यार के ,मगर तुमने उसे नहीं समझा ,
गुस्से और नफरत में बदल दिया ,
काश तुम समझ पाते ,मेरे सही भावों को ||
भावों को मेरे ,तुमने पानी में बहा दिया ,
कागज की कश्ती जैसे ,भाव ना तैरे पानी में ,
वो तो सभी मानो ,डूब गए पानी में ,
काश कोई तो समझता ,कोई तो बूझता ,
क्या कहना चाहा है ? मेरी लेखनी ने ,मेरी लेखनी ने ||
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