Tuesday, February 6, 2024

MAN UPVAN ( KSHANIKA )

 

                        मन उपवन 


मन उपवन में फिरे घूमता,

 ऊँचे से गगना को चूमता ,

फूलों की खुश्बु को सूँघता ,

मानो हो नशे में झूमता | 

 

तितलियों   के रंगों  से खुश हो कर ,

जीवन प्यार में डूबता ,

रंग - बिरंगी तितलियों की दुनिया में ,

जीवन खुश हो कर झूलता || 

 

परिंदों की मीठी आवाजें ,

जब - जब कानों में आतीं ,

उपवन की खुश्बु में घुल कर ,

मन को जगमग कर जातीं || 

 

भोर की लाली जगमग - जगमग ,

संसार को रोशन कर जातीं ,

सूरज की किरनें भी तब ही ,

धरा को सुनहरा कर जातीं || 

 

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