मन उपवन
मन उपवन में फिरे घूमता,
ऊँचे से गगना को चूमता ,
फूलों की खुश्बु को सूँघता ,
मानो हो नशे में झूमता |
तितलियों के रंगों से खुश हो कर ,
जीवन प्यार में डूबता ,
रंग - बिरंगी तितलियों की दुनिया में ,
जीवन खुश हो कर झूलता ||
परिंदों की मीठी आवाजें ,
जब - जब कानों में आतीं ,
उपवन की खुश्बु में घुल कर ,
मन को जगमग कर जातीं ||
भोर की लाली जगमग - जगमग ,
संसार को रोशन कर जातीं ,
सूरज की किरनें भी तब ही ,
धरा को सुनहरा कर जातीं ||
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