शारदे माँ
हे शारदे माँ ,हे शारदे माँ ,ज्ञान दे ,वरदान दे ,
मेरी लेखनी में तू ,प्राण भर दे ||
सागर को बना के स्याही ,लेखनी में भर दे ,
लेखनी चलती ही जाए ,कभी ना निष्प्राण हो ||
मन के विचारों में ,नए - नए शब्द तो दे ,
कभी तो अपनी वीणा की ,माँ झंकार सुनवा दे ||
जीवन की अंतिम साँस तक ,चलती रहे मेरी लेखनी ,
मुझको ये शक्ति ,ऐसा ही आशीर्वाद ,ऐसा ही वरदान दे ||
मेरे शब्द हों सीमा रहित ,
मेरे शब्द हों डूबे हों डूबे ,प्यार की चाशनी में ,
मेरे शब्द मददगार हों ,
उनके लिए जो ,जिंदगी से बेजार हों ,
ऐसी ही प्रेरणा मुझको दे ,
कभी तो वीणा की झंकार सुनवा दे ||
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