इंसान
इंसान जब इंसानियत को समझेगा ,
तभी तो धरा पनपेगी ,
मानवता का पाठ पढ़कर उसे अपनाएगा ,
तभी तो धरा पनपेगी ,
पनपाओ इस धरा को , इंसान बनो तुम ||
प्यार और मुस्कानों के साथ ही ,
तुम धरा को सुंदर बनाओगे ,
यही तुम्हारे जीवन का उद्देश्य है ,
यही जीवन का सार है ,
तो सुंदर बना लो धरा को , इंसान बनो तुम ||
मेल - जोल , भाई - चारा ही ,
प्यार और मुस्कानों की कुंजी है ,
इसी कुंजी से धरा की , सुंदरता का मार्ग खुलता है ,
तो तुम भी इस , इस कुंजी का उपयोग करो ,
इंसान बनो तुम , इंसान बनो तुम ||
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