सफर
जीवन के सफर में , दिल की बातें ,
दिल में ही कैद रह जाती हैं ,
होठों के रास्ते बाहर नहीं आने पातीं ,
क्योंकि कोई सुनने वाला नहीं होता ,
तो दोस्तों कोई तो हो ऐसा जीवन में ,
जो हमारे दिल की बातें सुने ||
बातों को सुनकर उन्हें समझे ,
और अपने दिल की बातें मुझे सुनाए ,
खूब हँसे और मुझे भी हँसाए ,
मुस्कुराए , खिलखिलाए , कहकहे लगाए ||
तभी तो दोस्तों जीवन का सफर ,
सुनहरा बन जाएगा , जगमगाएगा ,
और फिर जब खत्म होगा तो ,
जीवन दाता से मिलवाएगा ||
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