Thursday, August 28, 2025

KHWAAB PANKHON KE ( JIVAN )

 

                             ख्वाब पंखों के 

 

ये है ख्वाबों  की दुनिया , मुरादों की दुनिया ,

उन ख्वाबों में मिले , जो पंख मुझे , वो लगाकर ,

उड़ने लगी हूँ मैं , उस नील ऊँचे गगन में ,

जहाँ परिंदे हमेशा , उड़ते रहते  हैं   || 

 

पवन के संग उड़ते - उड़ते ,गगना के अँगना में  ,

पंखों का सहारा लेकर , ख्वाबों का सहारा लेकर ,

मैंने छुआ गगन को , तो ख्वाब हुए पूरे  || 

 

आज भी उन ख्वाबों की , ताबीर मेरे साथ है ,

सच्चाई मेरे साथ है , यादें मेरे साथ हैं ,

तो ख्वाबों को हमेशा , थामे रहो दोस्तों ,

यादों के धागों से , उन्हें बाँधे रहो दोस्तों  || 

 

No comments:

Post a Comment