स्वर्णिम युग
प्यार ही जिंदगी है , प्यार ही बंदगी है ,
प्यार की धारा में बहते जाओ,प्यार ही अमर खुशी है ,
मुस्कानों की डोर में , पिरो लो प्यार को ,
इनसे बनी माला ही तो , जीवन की हर खुशी है ||
प्यार पंछी की तान में है , प्यार नदिया के गान में है ,
झरनों में प्यार बहता , वेगवान होकर बहता ,
तुम भी बह चलो दोस्तों ,
प्यार मीरा का कृष्ण को समर्पित ,
प्यार राधा का कान्हा को अर्पित ,
तुम भी सभी से कर लो , प्यार को ह्रदय में भर लो ||
प्यार अंजुरी में भर कर , बाँटते जाओ पूरे जग में ,
मानवता जी उठेगी , मुस्कानें सज उठेंगी पूरे जग में ,
कान्हा भी अवतरित हो ,सखा बन जाएँगे सभी के ,
स्वर्णिम युग आ जाएगा , इस जग में ,
हर कण इस जग का , खिलखिलाएगा , कहकहे लगाएगा ||
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