Monday, August 25, 2025

SWARNIM YUG ( KSHANIKAA )

 

                              स्वर्णिम  युग 

 

प्यार ही जिंदगी है , प्यार ही बंदगी है ,

प्यार की धारा में बहते जाओ,प्यार ही अमर खुशी है ,

मुस्कानों की डोर में , पिरो लो प्यार को ,

इनसे बनी माला ही तो , जीवन की हर खुशी है  || 

 

 प्यार पंछी की तान में है , प्यार नदिया के गान में है ,

झरनों में प्यार बहता , वेगवान होकर  बहता ,

तुम  भी बह चलो दोस्तों ,

 प्यार  मीरा का कृष्ण को समर्पित ,

प्यार राधा का कान्हा को अर्पित ,

तुम भी सभी से कर लो , प्यार को ह्रदय में भर लो   || 

 

प्यार अंजुरी में भर कर , बाँटते जाओ पूरे जग में ,

मानवता जी उठेगी , मुस्कानें सज उठेंगी पूरे जग में ,

कान्हा भी अवतरित हो ,सखा बन जाएँगे सभी के ,

स्वर्णिम युग आ जाएगा , इस जग में ,

हर कण इस जग का , खिलखिलाएगा , कहकहे लगाएगा  || 

 

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