विधान विधि का
जीवन में जो मिला है , वह अच्छा है ,
जो नहीं मिला , वह भी अच्छा है ,
सब्र कर ऐ - बंदे , ईश्वर कहता है ,
जो तुझे मिला है , वो तेरे लिए अच्छा है ,
जो नहीं मिला है , वो तेरे लिए अच्छा नहीं है ,
मैं जानता हूँ तेरे लिए ,क्या अच्छा है और क्या नहीं ??
तेरे जीवन में संघर्ष है , तो क्या हुआ ?
मैंने भी तो कुरुक्षेत्र को , पार किया है ,
तुझे मनचाहा नहीं मिला , तो क्या हुआ ?
मैंने राधा को प्यार किया , मगर रुक्मणी मिली ,
मैं विधि के विधान को , बदल नहीं सकता ,
तो तू क्यों ऐसी , कोशिश करता है ??
कर्मों की परिभाषा को , तू मत बदल ,
मैंने जो बनाई है ,उसी को मान ,
वही कर्म कर , जो मैंने सुझाए हैं ,
तभी तो तू मेरे धाम आकर , मुझे पाएगा ||
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