कान्हा
हे कान्हा तुम मेरे साथ ही रहना , छोटा सा घर मेरा ,
मेरा प्यार बहुत है कान्हा , उसको तुम अपनाए रहना ,
मैं हूँ कान्हा दोस्त तुम्हारी , तुम भी मेरे बनकर रहना ||
मुरली की धुन लगती मीठी , उसको तुम बजाते रहना ,
हम सुनकर मुस्काते रहते , तुम भी तो मुस्काते रहना ,
जग वाले भी आते हैं कान्हा , प्यार तुम्हारा पाने कान्हा ||
राधा तो है सखि तुम्हारी , मीरा है भक्त तुम्हारी ,
क्या तुम सखि मुझे बनाओगे ? मुरली मुझे सुनाओगे ?
ना मैं राधा , ना मैं मीरा , बस मैं चाहूँ बनना सखि तुम्हारी ||
यमुना तीरे मैं आई तो , क्या तुम मुझको मिल पाओगे ?
अपनी मीठी मुरली की धुन ,क्या तुम मुझे सुनाओगे ?
अपनी मुस्कानों से कान्हा , क्या मेरी मुस्कान बढ़ाओगे ??
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