प्रहर
दिन - ब - दिन ,परिस्थितियाँ बदलती हैं दोस्तों ,
अपनी चाल भी उन्हीं के ,साथ बदलती है दोस्तों ,
कहीं पर सहनशक्ति काम करती है ,
और कहीं पर ,सब्र काम चलाता है दोस्तों ||
कहीं पर साथ ,किसी का छूटता है ,
कहीं पर साथ किसी का जुड़ता है दोस्तों ,
हर मौसम को अपनाओ तुम ,
हर पल में ,मुस्काओ तुम दोस्तों ||
जीवन भर मुस्कुराओगे गर ,
तो मुस्कुराएगा हर प्रहर दोस्तों ,
ऐसे चलने पर ही तो ,
मजबूत और खुशहाल ,बन जाएगा जिगर दोस्तों ||
No comments:
Post a Comment