Friday, January 31, 2025

PAANCH CHAAND ( CHANDRAMAA )

 

                        पाँच  चाँद 


गगन में चमके हैं आज चाँद पाँच ,

ये बात है बंधु समझो साँच ,

लकीरों में लिखी है ,किस्मत सभी की ,

अँगुलियाँ आगे इसलिए हैं ,

कि इन्हीं अँगुलियों के पोरों में ,

बस गए हैं ये चाँद पाँच  || 


संगीत के पंचम सुर में ,जो  जीवन है ,

वही जीवन अँगूठे के ,पोरों में बसे चाँद में है ,

ये चाँद ही तो ,मानव की पहचान है ,

ये चाँद दो मनुष्यों के ,आपस में नहीं मिलते ,

सभी के चाँद अलग - अलग हैं || 


हथेली की लकीरें ,और ये चाँद ही ,

मानव - जीवन के  ,भाग्य और कर्म बनाते हैं ,

मुहावरों से आगे ,बसते हैं भाग्य और कर्म ,

गगन के चाँद तो ,गगन की सिर्फ चमक बढ़ाते हैं ,

मगर हाथ के चाँद ,तो मानव जीवन चमकाते हैं || 


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