पाँच चाँद
गगन में चमके हैं आज चाँद पाँच ,
ये बात है बंधु समझो साँच ,
लकीरों में लिखी है ,किस्मत सभी की ,
अँगुलियाँ आगे इसलिए हैं ,
कि इन्हीं अँगुलियों के पोरों में ,
बस गए हैं ये चाँद पाँच ||
संगीत के पंचम सुर में ,जो जीवन है ,
वही जीवन अँगूठे के ,पोरों में बसे चाँद में है ,
ये चाँद ही तो ,मानव की पहचान है ,
ये चाँद दो मनुष्यों के ,आपस में नहीं मिलते ,
सभी के चाँद अलग - अलग हैं ||
हथेली की लकीरें ,और ये चाँद ही ,
मानव - जीवन के ,भाग्य और कर्म बनाते हैं ,
मुहावरों से आगे ,बसते हैं भाग्य और कर्म ,
गगन के चाँद तो ,गगन की सिर्फ चमक बढ़ाते हैं ,
मगर हाथ के चाँद ,तो मानव जीवन चमकाते हैं ||
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