आँखों में
झिलमिल तारे ,चमकते हैं गगन में ,
उन्हीं की परछाईं ,दिखती है सागर में ,
झिलमिल तारे ,चमकते हैं नयन में ,
उन्हीं की परछाईं ,दिखती है अँसुअन में ||
सभी तरह के तारे ,चम - चम करते हैं गगन में ,
मगर सिर्फ रात में ,सिर्फ रात में ,
एक आस का तारा ही ,चमकता रहता है ,
रात और दिन दोनों में ,दोनों में ||
उस आस के ,तारे को देख लो बंधु ,
उसी की चमक को ,
जीवंत रखो अपनी आँखों में ,
उसी की चमक के बल पर ,
अपने जीवन के सपने सजा लो ||
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