अंक
जिंदगी चल पड़ी है ,अनजान राहों पर ,
वो राहें जो कल तक ,सुनसान थीं मगर ,
आज वही राहें ,चहल - पहल से भरकर ,
खुशियों का संसार ,बसा कर चल रही हैं ||
हर कदम पर इम्तहान हैं ,परीक्षाएँ हैं ,
जिंदगी भी परीक्षा लेती है ,
मगर कोई अंक नहीं देती ,
ओ जिंदगी ! जब तुम परीक्षा लेती हो तो ,
पेपर जाँच कर अंक भी तो दो ,
पास या फेल का रिजल्ट भी तो दो ||
ऐसे ही ना पेपर जाँचो ,अंकों को साथ ले लो ,
दुनिया की हर एक परीक्षा की तरह ,
तुम भी तो परिणाम दे दो ||
बिना परिणाम के परीक्षा क्या ?
बिना अंकों के पेपर क्या ?
आगे ऐसा सब नहीं करना ,
जीवन में फल ( परिणाम ) भी देना ||
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