Friday, May 10, 2024

SANCHAY ( DOHA )

 

                                संचय 


संचय करि - करि जुग भया ,ना बना खजांची कोय ,

अपने जोग जो संचय करे ,तो काफी संचय होय || 


सारा धन ना जोड़िए ,खर्चा भी कछु कर लेय ,

मन को मार जो धन जुड़ा ,तो फायदा काहू का होय || 


मन का खाय और पहन के ,जोड़ लेय तू संतोष ,

मन को मारा तो क्या ? पाएगा तू संतोष || 


जीवन एक बार मिले ,बार -बार नहीं पाय ,

यह जीवन तो किसी भी ,हाट में नहीं बिकाय || 


जीवन में रस बहुत हैं ,पी ले तू भरपूर ,

नहीं पिये तो पछताएगा ,अंत समय भरपूर || 


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