Friday, May 3, 2024

PUNARJANM ( KSHANIKAA )

 

                                    पुनर्जन्म 


चाँदनी रात में ,बिना किसी डर के ,

मैं ,तुम और हमारा प्यार ,निकल पड़े ,

जीवन के सफर में ,अनजान सफर में ,

समय के साथ ,जा पहुँचे हम ,

परियों के देश में || 


वहाँ देखा ,सपनों का सच ,

दोस्ती और प्यार में डूबी ,खोयी हवाएँ ,

मिल गई हमें प्रेम की खुश्बु ,

देखा जीवन साथी ,जिसने थामा हुआ था हाथ ,

नियति के मोड़ पर ,पागल दिल ,

भर रहा था ऊँची उड़ान || 


मन के विचारों में ,मिलन की थी आस ,

अजनबी रिश्तों से ,आखिर कब तक ?

हँसी -हँसी में ओढ़ी ,जिम्मेदारियाँ पूरी करते ,

तभी मिला गुमशुदा मन ,यादों की किताब में खोया ,

दिल की गहराई में डूबा || 


तभी एक नया विश्वास उगा ,

एक बार जिंदगी में रंग भर लें  ,

कश्मीर की यात्रा करें ,सुरमई शाम का आनंद लें ,

बारिश के बाद नील गगन में ,इंद्रधनुष देखकर ,

खोयी यादों को फिर से जी लें ,और सोचें ,

यही तो हमारा पुनर्जन्म है ,पुनर्जन्म है || 


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