पुनर्जन्म
चाँदनी रात में ,बिना किसी डर के ,
मैं ,तुम और हमारा प्यार ,निकल पड़े ,
जीवन के सफर में ,अनजान सफर में ,
समय के साथ ,जा पहुँचे हम ,
परियों के देश में ||
वहाँ देखा ,सपनों का सच ,
दोस्ती और प्यार में डूबी ,खोयी हवाएँ ,
मिल गई हमें प्रेम की खुश्बु ,
देखा जीवन साथी ,जिसने थामा हुआ था हाथ ,
नियति के मोड़ पर ,पागल दिल ,
भर रहा था ऊँची उड़ान ||
मन के विचारों में ,मिलन की थी आस ,
अजनबी रिश्तों से ,आखिर कब तक ?
हँसी -हँसी में ओढ़ी ,जिम्मेदारियाँ पूरी करते ,
तभी मिला गुमशुदा मन ,यादों की किताब में खोया ,
दिल की गहराई में डूबा ||
तभी एक नया विश्वास उगा ,
एक बार जिंदगी में रंग भर लें ,
कश्मीर की यात्रा करें ,सुरमई शाम का आनंद लें ,
बारिश के बाद नील गगन में ,इंद्रधनुष देखकर ,
खोयी यादों को फिर से जी लें ,और सोचें ,
यही तो हमारा पुनर्जन्म है ,पुनर्जन्म है ||
No comments:
Post a Comment