गपशपी चाय
आसमां पर उड़े ,जा रहे जो बदरा ,
जब थके ,पर्वतों के ऊपर से गुजरे ,
तो पर्वतों ने रोका ,कहा ,आओ दोस्त !
आराम कर लो ,पल दो पल ,
बदरा रुके आराम करने ||
पर्वतों ने मुझको आवाज दी ,
सखि !आओ जरा चाय तो पिलाओ ,
मैं दौड़ी ,पहुँच के ,बरखा को बुलाया ,
बरखा आओ ,चाय के लिए जल लाओ ,
बरखा ने जल बरसाया ||
चाय बनी कड़क - कड़क सी ,
भीनी - भीनी सुगंधित चाय ,
बदरा ,पर्वत ,बरखा रानी और मैंने ,
खूब चाय पी ,खूब गपशप की ||
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