Sunday, May 5, 2024

GUPSHUPI CHAAY ( JALAD AA )

 

                        गपशपी चाय 


आसमां पर उड़े ,जा रहे जो बदरा ,

जब थके ,पर्वतों के ऊपर से गुजरे ,

तो पर्वतों ने रोका ,कहा ,आओ दोस्त !

आराम कर लो ,पल दो पल ,

बदरा  रुके आराम करने || 


पर्वतों ने मुझको आवाज दी ,

सखि !आओ जरा चाय तो पिलाओ ,

मैं दौड़ी ,पहुँच के ,बरखा को बुलाया ,

बरखा आओ ,चाय के लिए जल लाओ ,

बरखा ने जल बरसाया || 


चाय बनी कड़क - कड़क सी ,

भीनी - भीनी सुगंधित चाय ,

बदरा ,पर्वत ,बरखा रानी और मैंने ,

खूब चाय पी ,खूब गपशप की || 


No comments:

Post a Comment