पानी आँख का
मासूम दिल की उलझनें ,कोई ना सुलझाए ,
उलझनों की गाँठों को ,खुद ही सुलझा लो दोस्तों ||
बढ़ने ना देना उन उलझनों को ,नहीं तो दिल परेशां होगा ,
एक - एक करके खोलो गाँठें ,खुद ही ,खुद ही दोस्तों ||
उलझनों के कारण जो ,आए पानी आँखों में ,
नहीं दिखाना किसी को दोस्तों ,आँख के उस पानी को ||
कोई नहीं समझेगा दोस्तों ,उलझनों और उस पानी को ,
कोई नहीं दूर करेगा ,दोस्तों तुम्हारी परेशानी को ||
इसीलिए कहना मान लो दोस्तों ,दूर करो सब उलझनें ,
पोंछ डालो आँख में आए ,उस पानी को ,उस पानी को ||
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