Saturday, June 1, 2024

ANOKHAA BICHHONAA ( RATNAAKAR )

 

                  अनोखा बिछौना 


ऐ सागर की लहरें बोलो ,हाथ पकड़ के तुम चलो ,

सागर की दुनिया घुमाओ ,सारे उसके छोर दिखाओ ||  


लहरों तुम अपना बना बिछौना ,मुझको उस पर लिटाओ ,

गुदगुदे से उस बिछौने पर ,

लिटा मुझे सागर की दुनिया दिखाओ || 


कैसी दुनिया सागर की ? रंग -बिरंगे ,

छोटे  -बड़े जीव सभी, सारी उसकी वनस्पति का ,

तुम मुझको दर्शन कराओ || 


लहरोंतुम मेरी प्यारी सहेली ,

बिछौना तुम्हारा बहुत गुदगुदा ,

मुस्कानें मेरी जगा गया ,शीतलता भी दिला गया || 


रत्नाकर के घर में ,अनगिनत रत्नों का खजाना है ,

उन रत्नों को देखकर ही तो ,

रत्नाकर के खजाने का पता चलता है || 


सागर की लहरों पर लेटी ,मैं खुश होती जा रही ,

और मेरे होठों पर मुस्कान खिलती जा रही || 


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