कैसे ?
कोई नहीं समझ सकता ,दूजे किसी के भावों को ,
नहीं तोल सकता कोई ,प्रयोग कर किसी तराजू को ||
तराजू सिर्फ भार बता सकती है ,
मगर भावों का कोई भार नहीं होता ,
उनकी तो गहराई होती है बंधु ||
दीवार की ऊँचाई ,नदिया की गहराई ,
नाप लेते हैं फीतों से ,मगर भावों की गहराई ,
तो किसी भी फीते में ,ये शक्ति नहीं है बंधु ||
इसी प्रकार किसी की ,सोच की ऊँचाई ,
कोई फीता नहीं नाप सकता ,कैसे नापेगा ?
जरा बताओ तो ,जरा बताओ तो ||
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