वो बातें
बचपन से थे तुम दोस्त हमारे ,
क्यों दूसरे शहर तुम चले गए ?
क्यों दूसरा बसेरा बना लिया ?
क्या तुमको याद नहीं आती ?
वो खेल - खिलौने ,वो बातें ||
सपनों में जब वो दिन आते ,
दिल मेरा बहुत ही धड़काते ,
मैं बहुत ही खुश हो जाती हूँ ,
यादों में ही खो जाती हूँ ,
यादों को समेट मुस्काती हूँ ||
जीवन ये ही तो होता है ,
यादों का बक्सा होता है ,
तुम भी सपनों में खो जाओ ,
मेरे साथ - साथ ही खिल जाओ ,
यादों को समेट तुम मुस्काओ ||
ना भूलो ,ये जग आना जाना है ,
कर्मों , यादों का खजाना है ,
वो ईश्वर , जो है जादूगर ,
जादू जो अपना चलाता है ,
वो हमें देख मुस्काता है ,मुस्काता है ||
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