सहमति
राहों से चलकर ,मंजिल मिलती है ,
राहें कैसी भी हों ? सभी पार करनी होती हैं ,
इसलिए दोस्तों ,हिम्मत के साथ राहें पार करो ||
मंजिल पाने के लिए ,हिम्मत के साथ ही ,
मंजिल पाने की लगन ,और धुन भी होनी चाहिए ,
तभी मंजिल तक पहुँच पाओगे दोस्तों ||
अब सोचना यह है कि सफर में ,
मंजिल जरूरी है या राह जरूरी है ,
मगर मेरी तो सोच कहती है दोस्तों ,
सफर में कोई प्यारा ,साथ जरूरी है ,
क्या आप सब ,मेरी बात से सहमत हैं दोस्तों ?
कृपया जवाब दीजिएगा ||
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