यादों का पिटारा
बचपन की यादें ,वो यादों का पिटारा ,
जब खुलता है तो ,लगता है दोस्तों ,
सुंदर सा है ,ये जहां हमारा ||
जीवन के वो ,अनमोल पल ,
यादों में रचे बसे हैं ,
वो खिलौने ,वो सखा हमारे ,
यादों में ही झलकते हैं ||
आज भी लगता है ,कल ही की बात है ,
जीवन के पन्ने पलटने पर ,
वो यादें उभर आती हैं ,
मानस - पटल फिर से भर जाता है ||
सखियों के साथ ,वो सारे प्यारे खेल ,
गुम हो गए जाने कहाँ ,समय के बहने में ?
लगता है सुंदर सपना ,वो हमारे मेल ,
ऐसे ही समय बीता ,ऐसे ही हुए खेल ,
जीवन है अब तक बीत गया ,
मानो समय रीत गया ,ख़त्म हुए खेल ||
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