फिसला लो
समय मिले ना मिले ,कोई बात नहीं ,
समझ को तो ऊपरी ,माले से उतारो यारों ,
रिश्तों की दौलत को ,तुम प्यार से ,
मनुहार से और ,समझ से समेट लो यारों ||
क्या जाने आगे को ,यह मुमकिन ना हो ?
जीवन का भरोसा क्या ,समय बदलता यारों ?
हर दम ,हर जगह ,फूल खिलें ना खिलें ,
फूलों की खुश्बुओं से ,तुम भी महक लो यारों ||
जिंदगी छोटी है तो ,कोई बात नहीं ,
इसी में जीवन को ,पूरा ही जी लो यारों ,
प्यार के इस मौसम में ,प्यार के बोलों को ,
अपनी जुबान से ही ,फिसला लो यारों ||
No comments:
Post a Comment