स्वाद
अपनेपन के बीज जो छिड़के ,हमने अपने दिल में ,
पौधे उगे जो दिल में ,बढ़ते गए ,
फलते - फूलते चले गए ||
पौधे पले ,जाकर दिमाग में ,
बढ़कर पेड़ बने ,फूल लगे उनमें ,
जो फल बने ,समय बीतता गया ||
ये फल निकले ,हमारी जुबान से ,
सबको स्वाद दिया ,
फल मीठा है या कड़वा ,सबने स्वाद लिया ||
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