Tuesday, July 16, 2024

SARAA KUSOOR ( JIVAN )


                      सारा कुसूर 


जंगलों को तुमने काट दिया ,कितनों का घर उजाड़ दिया ?

क्यों तुमको सोच नहीं आई ? क्यों तुमको तरस नहीं आया ?

वो मूक जानवर क्या बोलें ? क्यों तुम इतने बेदर्दी हो ?


नदिया में कचरा डाल दिया ,उसको तुमने बेहाल किया ,

मछलियाँ कहाँ जाएँगी बता ?उनका ठौर -ठिकाना बता ,

कैसे सीखेगी आने वाली पीढ़ी ?" मछली जल की रानी है ,"

पानी को तूने गंदा किया ,क्या कोई उसे पी पाएगा ??


रास्ता बदला जब नदिया ने ,लाई उफान अपने अंदर ,

तो तब तू जोर से चिल्लाया ,बाढ़ आई ,बाढ़ आई ,

तेरी ही तो थी सारी खता ,तू भी तो दुःख उठाएगा || 


गर्मी फैली है सब जग ,में अब तू ही इसे सहेगा सुन ,

तापमान बढ़ा धरा का ,सारा कुसूर तो तेरा है ,

क्यों पेड़ और पानी बर्बाद किए ?क्यों सोचा नहीं ? 


परिणाम क्या तू नहीं जानता था ?जल से ही तो जीवन है ,

पेड़ों से ही ये पर्यावरण है ,सब कुछ तो मिटा डाला तूने ,

सारा कुसूर तो तेरा है ,सारा कुसूर तो तेरा है || 


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