Thursday, July 11, 2024

AATMKATHAA NADII KI ( BAAL SAAHITYA )


                आत्मकथा नदी की 


यह रचना मेरे नाती  अंश अरोरा ( कक्षा -६ )ने

लिखी है | पढ़कर अपनी राय और आशीर्वाद दें |  


सभी लोग मेरा मीठा और शीतल जल पीते हैं | मैं 

धरती को उपजाऊ बनाती हूँ | जरा बताओ मैं कौन 

हूँ ?क्या कहा ,मैं एक नदी हूँ ? हाँ जी हाँ ! मैं एक 

नदी हूँ | आज मैं आपको अपनी आत्मकथा 

सुनाती हूँ | 


पर्वतों पर हुई तेज वर्षा और वहाँ की बर्फ के 

पिघलने से जल की धारा के रूप में जन्म लेकर 

नीचे उतरती हूँ | मैदानी क्षेत्र में नदी के नाम से ,

जिधर भी रास्ता मिले ,उधर बह जाती हूँ | जहाँ -

जहाँ से मैं बहती हूँ ,धरती को उपजाऊ  चलती

हूँ |

 

देश भर में मेरी बहुत सी सखियाँ हैं ,गंगा ,यमुना ,

कृष्णा और कावेरी आदि | वे सब अलग - अलग 

क्षेत्रों में बहती हैं | बहते -बहते एक दिन मैंने देखा ,

लोग गंदा पानी और कचरा मेरे अंदर डालकर मुझे 

गंदा कर रहे थे | मुझे बहुत दुःख हुआ | थोड़े दिनों में  

मैं प्रदूषित हो गई | मेरा गंदा पानी पीकर सब लोग 

बीमार पड़ने लगे | 


फिर एक दिन हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 

सफाई अभियान चलाया | देश के लोगों ने मिलकर 

नदियों की सफाई की ,जिससे मैं और मेरी सखियाँ 

पहले की तरह साफ और स्वच्छ बन गईं | हम खुश 

हो गईं | 


फिर हम सब नदियाँ अलग -अलग रास्ते में बहते -

बहते सागर में मिल गईं | सागर में मिलते ही हमारा  

जल भी नमकीन हो गया | आपने मेरी आत्मकथा 

सुनी ,उसके लिए धन्यवाद || 


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