Sunday, July 7, 2024

ITRA ( KSHANIKAA )

 

                         इत्र 


चाहे जितने इत्र छिड़क लो ,अपने ऊपर ,

चाहे जितने फूल खिला लो ,अपने आँगन ,

फैलेंगी खुश्बुएँ सब ओर ,सब ओर || 


गर्मी के बाद ,वर्षा ऋतु के ,आगमन पर ,

वर्षा की ठंडी बूँदें ,पड़ीं जब गर्म धरा पर ,

जो सोंधी खुश्बु ,सब ओर उड़ी और ,

जीवन सभी का ,उसने महका दिया || 


गर्म माटी पर पड़तीं ,वर्षा की पहली बूँदें ,

जिस खुश्बु को उड़ाती हैं ,उसके मुकाबले ,

इस जग में अन्य कोई ,खुश्बु नहीं है ,

यही सबसे सुंदर ,और महकता इत्र नहीं है || 


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