अधूरी कहानी
चाँद की चाँदनी ,जब उतरी धरा पर ,
दिल धरा का ,मचल सा गया देखकर ,
चमकीली चूनर चाँदनी की ,धरा ने जो ओढ़ी ,
डोल गया दिल भी गगन का ,धरा को देखकर ||
" आ धरा तू बन जा ,प्रियतमा मेरी ,
चलें घूमने दूर ,लॉंग ड्राइव पर ,
बातें भी होंगी ,घनेरी धरा तब ,
बिखरेंगी चहुँ ओर ,मुस्कानें हमारी || "
कहा जब गगन ने ,तो धरा शर्माई ,
बोली ," चलो तुम ,साथ में मेरे ,
मैं भी तो चाहूँ हूँ ,साथ तुम्हारा ,
मगर क्या हम दोनों ,साथ -साथ जा पाएँगे ?"
" तुम हो ऊँचाइयों पर ,मैं इतना नीचे ,
बीच में ये दुनिया की ,दीवार है आती ,
कैसे मिलकर ,साथ में चलें हम ?
दुनिया को यह बात ,बिल्कुल ना भाती || "
और दोस्तों रह गई ,यह कहानी ,
अधूरी ही अधूरी ,नहीं हुई पूरी ,
क्या है कोई रास्ता ,जो करे इसे पूरी ?
गगन और धरा की इच्छा ,
गगन और धरा की ,बनकर ,
अधूरी कहानी ,अधूरी कहानी ||
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