Wednesday, July 31, 2024

DHAMAKII SAAGAR KII ( RATNAAKAR )



                    धमकी सागर की 


सागर से पानी चला ,छल - छल करता जाय  ,

लहरें सागर की मानो ,भागी -भागी जायँ || 


मत उछलो कूदो तुम ,रुक जाओ अंदर आय ,

सागर ने लहरों को ,मानो दिया धमकाय  || 


लहरें तो थीं चंचला ,किस की बात में आयँ ?

वो ना धमकी से डरें ,ना ही वो रुक पायँ || 


पकड़ हाथ रोका सागर ने ,मगर वो उछल के भागीं ,

सागर के ना हाथ में आईं ,हँस -हँस कर वो भागीं || 


चलो खेल लो तुम ,जैसा मन में आय ,

बहुत दूर नहीं जाना तुम ,रस्ता भूल ना जाय || 


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