विश्वास करो मेरा
छलछलाते झरनों के करीब ,हम जो पहुँचे दोस्तों ,
झरने ने कहा ,"आओ ,जरा !
स्वाद तो चखो मेरे जल का ,"
हमने जब चखा ,उसके जल का स्वाद ,
तो मदहोश हो गए हम ,उस जल के स्वाद से ,
इतना शीतल और मीठा जल ,
हमने पहले नहीं चखा था ||
"बहुत शीतल और मीठा जल है तुम्हारा ,
लाते हो तुम कहाँ से ,बताओ तो जरा ?"
झरने ने उत्तर दिया ," प्रकृति की देन है यह जल ,
ईश्वर का प्रसाद है यह जल ,
कभी इसे दूषित ना करना ,
इसको कभी व्यर्थ ना बहाना दोस्त || "
"नहीं दोस्त ,तुम विश्वास करो मेरा ,
मैं कभी तुम्हारे जल को दूषित नहीं करूँगा ,
व्यर्थ नहीं बहाऊँगा ,संचित करके रखूँगा ,
विश्वास ,विश्वास ,विश्वास करो मेरा || "
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