नभ में
इंद्रधनुष ,खिल गया है गगन में ,
रंगों भरा इंद्रधनुष ,खिला है गगन में ,
बरखा थमी ,इंद्रधनुष खिला है गगन में ||
रंग पाए उसने ,भानु किरणों से ,
राह पाई किरणों ने , जल - कणों से ,
उन्हीं रंगों से रंगा है आज ,
इंद्रधनुष , आसमां की छत में ||
फैला जब रंग ,भानु किरणों का ,
उन्हीं से बन गया ,देखो तो इंद्रधनुष ,
शोभा बढ़ाई उसने ,नीलगगन की ,
खिल - खिल के चमका ,इंद्रधनुष नभ में ||
क्या सुंदर नजारा है ,आज तो ?
देख इंद्रधनुष ,चमक उठे है नयना ,
बड़ों और बच्चों ,सभी को है भाया ,
यह इंद्रधनुष ,यह रंगों भरा इंद्रधनुष ||
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