बँधाय ले
रखिए सब को अपना बनाय के ,गीत प्रीत के गाय के ,
मुस्कानों का जहां बसाय के ,तेरा मेरा सभी भुलाय के ||
तेरे पास जो आया है ,उसको गले लगाय ले ,
सत्कर्म से जीवन नैया को ,नदिया पार लगाय ले ||
कल को किसने देखा है ? आज तो तू मुस्काय ले ,
भावी जीवन भूल कर ,आज को तू बिताय ले ||
बीत गया सो बीत गया ,उसको तू भुलाय दे ,
कर्मों बाड़ी में तू ,अच्छे फूल खिलाय ले ||
आया था तू खाली हाथ ,भाग्य अपना लिखाय के ,
जाते समय के लिए तू ,सत्कर्म की गठरी बँधाय ले ||
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