चमत्कार
चाँद तू चहुँ ओर घूमे ,चाँदनी के साथ -साथझूमें ,
रात के अँधियारे में ,
तुम दोनों की मुस्कानें ही झूमें ||
धरा पे उजियारा तुम से छाए ,जीवन उसमें ही रंग जाए ,
अंतर्मन भी उसमें गुनगुनाए ,
मानो कोई मीठा संगीत गूँजे ||
रातके अँधियारे में परछाइयाँ ,नहीं मिलती हैं दोस्तों ,
मगर चाँदनी के उजियारे में ,
परछाइयाँ उजागर होती हैं दोस्तों ||
ये सब चाँद और ,चाँदनी का ही ,
चमत्कार है दोस्तों ,चमत्कार है दोस्तों ,
उनका प्यार है दोस्तों ||
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