मुस्कान उलझनों की
किसी का काटे नहीं कटे ,यह वक्त है बंधु ,
किसी के पास नहीं है ,यह वक्त है बंधु ,
कभी भी दिखाई ना दे ,यह वक्त है बंधु ,
मगर दौड़ता जाता है ,यह वक्त है बंधु ||
खुद दिखाई दे या ना दे ,बहुत कुछ दिखा जाता है ,
अपनापन दिखाने वालों की ,असलियत दिखा जाता है ,
दूसरों के खोखले अपनेपन की ,पोल -खोल जाता है ||
वक्त बीत रहा है बंधु ,खुश होकर वक्त बिता लो ,
ये जिंदगी है बंधु ,मुस्कानों में उलझा लो ,
जिंदगी की मुस्कानों की उलझनों को ,
वक्त ही सुलझा जाता है ,वक्त ही सुलझा जाता है ||
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