Friday, March 15, 2024

MUSKAAN ULJHANON KII ( JIVAN )

 

                          मुस्कान उलझनों की 


किसी का काटे नहीं कटे ,यह वक्त है बंधु ,

किसी के पास नहीं है ,यह वक्त है बंधु ,

कभी भी दिखाई ना दे ,यह वक्त है बंधु ,

मगर दौड़ता जाता है ,यह वक्त है बंधु || 


खुद दिखाई दे या ना दे ,बहुत कुछ दिखा जाता है ,

अपनापन दिखाने वालों की ,असलियत दिखा जाता है ,

दूसरों के खोखले अपनेपन की ,पोल -खोल जाता है || 


वक्त बीत रहा है बंधु ,खुश होकर वक्त बिता लो ,

ये जिंदगी है बंधु ,मुस्कानों में उलझा लो ,

जिंदगी की मुस्कानों की उलझनों को ,

वक्त ही सुलझा जाता है ,वक्त ही सुलझा जाता है || 


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