फर्ज जिए जा
सम्मान मिले है कुर्सी को ,सम्मान हमेशा पदवी को ,
इंसान तू क्या समझा है ? ये सम्मान मिला है तुझको ? ?
मत कर तू अहसान ,मदद करनी है तो तू कर ,
प्यार का रस्ता कभी ना छोड़ ,रस्ता पार ही करा कर ||
तू नहीं है सबसे ऊँचा ,मत समझ कि ऊँचा हूँ ,
आसमां बहुत ही ऊँचा है ,ईश्वर सबसे ऊँचा है ||
हार - जीत का तू मत सोच ,अच्छे कर्म किए जा ,
ईश्वर तुझको अच्छा फल देगा ,तू अपने फर्ज जिए जा ||
No comments:
Post a Comment