चमकार
बदरा नभ में उड़त हैं ,पवन को संग लिवाय ,
चम -चम चमकत दामिनी ,दोस्ती खूब निभाय ||
बदरा बरखा लाय तो ,रिमझिम जल बरसाय ,
बरखा जब हो बंद तो , इंद्रधनुष छा जाय ||
दामिनी की चमकार ने , बदरा दिये चमकाय ,
उसी दामिनी ने तो ,बदरा खूब गरजाय ||
बदरा की बरखा से , धरा तृप्त हो जाय ,
तभी तो मानव करे प्रार्थना , बदरा को बुलाय ||
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