पोल -खोल
उलझनों के समय में ,हर कोई सुझाव देता है ,
माँगो ना माँगो ,हर कोई सलाह देता है ,
शब्द एक ही होते हैं सभी के ,
संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं ,
पूछो जरा उनसे ,अगर तुम सब साथ थे ,
तो ये सब उलझनें आईं ही क्यों ?
अपनापन तुम्हारा ,पहले कहाँ खो गया था ?
अपनापन तुम्हारा ,पहले कहाँ सो गया था ?
क्या इंतजार कर रहे थे ,इन उलझनों के आने की ?
यदि हाँ ,तो क्या, इन उलझनों का कारण तुम हो ?
झूठे अपनेपन की ,पोल - खोल जाता है ,
झूठी सहानुभूति की ,पोल - खोल जाता है ,
जीवन की सच्चाइयों से ,अवगत करा जाता है ,
अवगत करा जाता है ||
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